गौरव




प्रोमिला देवी सुदर्शन हुईद्रोम


 गौरवत्व - एक मात्र नही अब

शौर्य वीर, प्रतिपल - प्रतिपल

स्वाभिमान – स्वच्छंद, हो अब -

निर्भय – निर्विकार, अविचल - अविचल

 

हिमालय से भी ऊंचा उठ,

हिम समान, स्वच्छ और निर्मल

पराक्रमी – परिभाषा, ही में -

अडिग – विराट, केवल – केवल -

 

निःसंकोच – निश्चित, होकर अब

देहमात्र, निश्चल - निश्चल

क्रोध, कटुता, आक्रोश, न हो अब -

विवेक, व्यवहार, शीतल – शीतल -

 

पुरुषार्थ, परमार्थ, आदि पर अब -

लक्ष्य घोषित कर, अटल – अटल,

स्नेह, लोभ से, वंचित हो कब -

आशंका अब, विफल – विफल .....

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