दे देना - Himanshu Badoni "Dayanidhi"
विधा: कविता, भाषा: हिन्दी
प्रकार: स्वरचित एवं मौलिक
भारत के नाम तुम मेरा, ये पैग़ाम दे देना।
शहीदों की पंक्ति में, मेरा भी नाम दे देना।
मेरे चेहरे की शिकन, दुश्मनों की चाल है,
शत्रु ने जंग छेड़ी थी, उसे अंजाम दे देना।
जो सबका भला करे, ऐसा काम दे देना।
देश की सुरक्षा में, ये साॅंसें तमाम दे देना।
जो मुझे सुबह न मिले तो कोई गम नहीं,
मेरी याद में यारों, कोई एक शाम दे देना।
जो कल की सोचे, ऐसी आवाम दे देना।
शत्रु की धमकियों को, यूं लगाम दे देना।
भारत की पहचान, बनते सेना के जवान,
प्राण गंवाकर तुम, प्रण का दाम दे देना।
इस सरज़मीं को, तू ख़ास ईनाम दे देना।
जो ज़र्रा आज़ाद करे, वो गुलाम दे देना।
अब इस देश में होगा शहादातों का चर्चा,
इन ख़ास गलियों को, मुद्दा आम दे देना।
जो भक्तिरस बांचे, तुम वो धाम दे देना।
हिंसा की दृष्टि को, आज विराम दे देना।
ये मर्म और कर्म, मिलकर बनाते हैं धर्म,
यहां रावण पड़े हैं, तुम प्रभु राम दे देना।
वीर के ताबूत पर, सादर प्रणाम दे देना।
शांत निगाहों को, अमिट संग्राम दे देना।
हर किसी का नाता शहीद से जुड़ जाए,
तुम इन रिश्तों को, नया मक़ाम दे देना।
वर्षों के संघर्ष को, आज विश्राम दे देना।
तिरंगे के सम्मान में, मेरा सलाम दे देना।
प्रयास करने से तो, जीत के मार्ग खुलते हैं,
मेरे दोनों हाथों में, जीत का जाम दे देना।
©® इंजी. हिमांशु बडोनी "दयानिधि"
जनपद: पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
Insta ID: @himanshupauri1
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