बेटी - By Shabana Anjum




 बेटी तुम घर की शान हो 

अपने माँ बाप की जान हो 

ऐसी बनना इस जग में तुम 

कि तुमपर सबको अभिमान हो।


तुमसे मेरा एक निवेदन है 

ये जो माँ बाप का जीवन है 

तुम्हारी खुशियाँ संजोने को 

कर दिया इन्होने अर्पण है।


ससुराल जब जाओगी तुम 

आँचल में अपने पाओगी तुम 

मान सम्मान सारे कुटुंब का 

उसे भली भांति निभाओगी तुम।


पर, माँ बाप से भी एक निवेदन है 

तुम्हारी बेटी का भी चेतन है 

किसी घर में उसे देने से पहले 

भली भांति करना तुम्हें चिंतन है।


जिस हिसाब से करते हो पालन 

वैसा ही ढूंढो उसके लिए आँगन।

वरना जीवन भर हंसकर भी 

दिल उसका करता रहेगा क्रन्दन।।


वो बेटी है सब कुछ सह लेगी 

तुम्हारा सर नहीं झुकने देगी।

पर अपने टूटे सपनों का दर्द 

जीवन भर दिल में झेलेगी।।


ससुराल से भी मेरा एक है निवेदन 

किसी की बेटी का ये अवलोकन 

लाने से पहले कर लो पूरी तरह।

लाने के बाद ना करो तुम शोषण।।


ये कोई लकड़ी का टुकड़ा है क्या 

जिसे काट छील के करते हो नया 

क्यूँ बातों की आरी चलाते हो 

क्या आती नहीं है तुम्हें दया ।


अपने परिवार को छोड़ के आती है 

दुनिया के रस्म निभाती है 

अपने अस्तित्व को कुचलकर भी 

सांसों का क़र्ज़ चुकाती है।


आप सब से मेरा है निवेदन 

बेटी को ना समझो कोई देयधन 

इसकी आत्मा का भी सम्मान दो 

ना करो केवल पालन पोषण।


सम्मान की ये बस प्रार्थी है।

प्रतिष्ठा की ये बनी सारथी है 

परिवार की लाज निभाने वाली है 

मत समझो तुम कि वो शरणार्थी है।



पिता के मान का लिए पताका 

भाई, नाना, दादा, मामा और काका 

सब पर उसका है ये ऋण 

सबके सर को उसने है ढ़ाँका।


संसार से मेरा निवेदन है 

बेटी से ही सुन्दर आँगन है।

इसे सुरक्षा दो और श्रद्धा दो 

तभी सफल तुम्हारा ये जीवन है।

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