बेटिया - By Author Ankit Saraf

 





सुने घर मे चेहेकने वाली आवाज़ है बेटिया

पीता का गौरब और माता की लाठी है बेटिया

बगियन की कोमल सी कली होती है बेटिया

नए वंश को जन्म देती है बेटिया

फिर न जाने क्यों कोख में ही मार दी जाती है

बेटिया

हस्ती खेलती परि होती है बेटिया

घर की लक्ष्मी होती है बेटिया

देवी माँ का स्वरूप होती है बेटिया

फिर न जाने क्यों दहेज के पीड़ा सहती है

बेटिया

जहाँ पैदा हुई वो घर नही उसका

जहाँ सादी करके गयी वो भी घर नही उसका

बताइये जनाब किसको अपना घर कहे ये

बेटिया

सब पे प्यार लुटाती है बेटिया

सबका ख्याल रखती है बेटिया

फिर ना जाने क्यों योन सोसन का शिकार होती है

बेटिया

भगवान ही बताये कहा जाए आखिर ये

बेटिया

- WritterAK80

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