सोमवार




सोमवार जो है सोमेश्वर पर 

- निष्ठित -

स्वयं शिव ही - सोमेश्वर - 

जो प्रतिष्ठित :

तू ही ईश्वर - तू ही देवता;

तू ही दाता - तू विधाता;


तू अनंत - तू निराकार;

तुझ से ही आदि भी;

तुझ से ही अनादि भी;


तू ही हो जो अंत !

तुझ से ही हो जो अनंत !

तू आकर भी -

तू प्रकार भी -

तुझ से ही चण्डी - रूप ले जो!

तू ही जो प्रचंड - तू ही सुरेश;


तू ही गौरव -

तुझ से ही है सौरभ!

तू ही पराक्रमी - तू ही परेश;

क्षय भी तुझ से - अक्षय भी तुझी से!


प्रारंभ भी तुझ ही से, 

तुझ ही से सर्वश्रेष्ठ - समाप्ति;

तू ही जीवन - तुझ से ही संहार;

तू जीवित भी - मृत्यु भी तुझी से;

क्या ये आकाश - क्या प्रकाश-

क्या पाताल - क्या कंकाल -

किस से पृथ्वी?

किस से जन्म?

किस से जीवन - क्या वचन ?


प्रकृति भी तू - पुरुष भी तू;

अर्धनारीश्वर - शक्ति - ये सृष्टि - ये परमेश्वर भी तू -

इक क्षण भी तुझ से;

समय पर कहीं ठहरा हुआ;

कठिन ये ब्रह्मांड नहीं;

निर्जर - निराकार - ए शिव - ए सोमनाथ;

प्रचंड - प्रकृष्ट - रुद्र रूपी भी तू;

काल कपाल भी तू - कला के शेष्ठ - सर्वश्रेष्ठ भी तू;

भुजंग, कंठ नाथ - ए शिव;


नमः उमानाथ ;

नमः शिवाय ;

ॐ नमः शिवाय ।।


-प्रोमिला देवी सुदर्शन हुईद्रोम

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